शुक्रवार, 10 जून 2022

गृहस्थ संबंधी सदाचार 1


1.मनुष्य गृहस्थाश्रम में रहे और गृहस्थ धर्म के अनुसार सब काम करें परंतु उन्हें भगवान के प्रति समर्पित कर दें और बड़े-बड़े संत-महात्माओं की सेवा भी करें।
2.अवकाश के अनुसार विरक्त पुरुषों में निवास करें और बार-बार श्रद्धा पूर्वक भगवान के अवतारों की लीला-सुधा का पान करता रहे।
3.जैसे स्वप्न टूट जाने पर मनुष्य स्वप्न के संबंधियों से आसक्त नहीं रहता-वैसे ही ज्यों-ज्यों सत्संग के द्वारा बुद्धि शुद्ध हो, त्यों -त्यों शरीर, स्त्री,पुत्र,धन आदि की आसक्ति स्वयं छोड़ता चले।क्योंकि एक-न-एक दिन यह छूटने वाले ही हैं। 
 4.बुद्धिमान पुरुष को आवश्यकता के अनुसार ही घर और शरीर की सेवा करनी चाहिए,अधिक नहीं। भीतर से विरक्त रहे और बाहर से रागी के समान लोगों में साधारण मनुष्यों जैसा ही व्यवहार करें।
5.माता-पिता,भाई-बंधु, पुत्र-मित्र, जाति वाले और दूसरे जो कुछ चाहें,भीतर से ममता न रखकर उनका अनुमोदन कर दे। 

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