जो लोग यह समझते हैं कि भगवान समस्त प्राणियों और पदार्थों के अधिष्ठान हैं, सब के आधार हैं और सर्वात्म भाव से भगवान भजन-सेवन करते हैं, वे मृत्यु को तुच्छ समझकर उसके सिरपर लात मारते हैं अर्थात उस पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। जो लोग भगवान से विमुख है वह चाहे जितने बड़े विद्वान हो उन्हें भगवान कर्मों का प्रतिपादन करने वाली श्रुतियों से पशुओंके समान बांध लेते हैं। जो लोग भगवान के साथ प्रेम का संबंध जोड़ सकते हैं वह न केवल अपनेको बल्कि दूसरोंको भी पवित्र कर देते हैं अर्थात
मंगलवार, 14 जून 2022
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मन्वंतर मंत्रमय उपनिसत स्वरुप स्तुति
जिनकी चेतनाके स्पर्शमात्रसे यह विश्व चेतन हो जाता है, किन्तु यह विश्व जिन्हें चेतनाका दान नहीं कर सकता; जो इसके सो जानेपर प्रलयमें भी जागते...
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जो लोग सदधर्म पालन की अभिलाषा रखते हैं उनके लिए इससे बढ़कर और कोई धर्म नहीं है कि किसी भी प्राणी को मन वाणी और शरीर से किसी प्रकार का कष्ट ...
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