शनिवार, 19 मार्च 2022

15.ग्रहस्तों के लिए मोक्ष धर्म का वर्णन

 उपनिषदों में कहा गया है कि 

1.शरीर रथ है।

2.इंद्रियां घोड़े है।

3.इंद्रियों का स्वामी मन लगाम है।

4.शब्द आदि विषय मार्ग है।

5.बुद्धि सारथी है।

6.चित् ही भगवान के द्वारा निर्मित बांधने की विशाल रस्सी है। 

7.दस प्राण धुरी है। 

8.धर्म और अधर्म पहिए है।

9.इनका अभिमानी जीव रथी कहा गया है।

10. ओंकार ही उस रथी का धनुष हैं।

11.शुद्ध जीवात्मा बाण और 

12.परमात्मा लक्ष्य हैं।

(इस ओंकार के द्वारा अंतरआत्मा को परमात्मा में लीन कर देना चाहिए)

राग, द्वेष, लोभ, शोक,मोह, मद,मान,अपमान, दूसरे के गुणों में दोष निकालना, छल, हिंसा, दूसरे की उन्नति देखकर जलना, तृष्णा,प्रमाद, भूख और नींद- यह सब और ऐसे ही जीवो के और भी बहुत से शत्रु है। उनमें रजोगुण और तमोगुण प्रधान वृत्तियां अधिक है,कहीं-कहीं कोई-कोई सतोगुण प्रधान ही होती है।

यह मनुष्य-शरीररूप रथ जब तक अपने वश में है और इसके इंद्रिय मन-आदि सारे साधन अच्छी दशा में विद्यमान है, तभीतक श्री गुरुदेव के चरण कमलों की सेवा-पूजा से शान धरायी हुई ज्ञान की तीखी तलवार लेकर भगवान के आश्रयसे इन शत्रुओं का नाश करके अपने स्वराज्य-सिंहासनपर विराजमान हो जाए और फिर अत्यंत शांतभाव से इस शरीरका परित्याग कर दे।

नहीं तो तनिक भी प्रमाद हो जाने पर इंद्रियरूप दुष्ट घोड़े और उनसे मित्रता रखने वाला बुद्धि रूप सारथी रथके स्वामी जीवको उल्टे रास्ते ले जाकर विषयरूपी लुटेरों के हाथों में डाल देंगे। वे डाकू सारथी और घोड़ों के सहित इस जीव को मृत्युसे अत्यंत भयावने घोर अंधकारमय संसारके कुएं में गिरा देंगे। देना चाहिए।)

मृत्यु को कैसे जीतें? वेद स्तुति चित्रा


1.जो लोग यह समझते हैं कि भगवान समस्त प्राणियों और पदार्थों के अधिष्ठान हैं, सब के आधार हैं और सर्वात्म भाव से भगवान का भजन-सेवन करते हैं, वे मृत्यु को तुच्छ समझकर उसके सिरपर लात मारते हैं अर्थात उस पर विजय प्राप्त कर लेते हैं।

The devotees who worship God as the shelter of all beings disregard Death and place their feet on his head.

Index


  1.  14. सदाचार                                               15.मोक्ष धर्म  
  2. अष्टम स्कंध 
  1. मन्वंतर
  2. गजेंद्र
  3. स्तुति
  4. पूर्व चरित्र
          1. ब्रह्मा कृत स्तुति
          2. समुद्र मंथन
          3. विषपान
          4. मोहिनी अवतार
          5. अमृत बांटना

          1. संग्राम
          2. समझौता
          3. महादेव का मोहित होना
          4. आगामी सात

मन्वंतर मंत्रमय उपनिसत स्वरुप स्तुति

 जिनकी चेतनाके स्पर्शमात्रसे यह विश्व चेतन हो जाता है, किन्तु यह विश्व जिन्हें चेतनाका दान नहीं कर सकता; जो इसके सो जानेपर प्रलयमें भी जागते...